इस संसार में गुरु का स्थान सर्वोपरि मानते हैं। गुरु अज्ञानी मनुष्य को अन्तर्दृष्टि प्रदान कर उन्हें इस भव सागर को पार करने का मार्ग सुझाते हैं।
गुरु के दिशा - निर्देशन में ही एक शिष्य अपने सुलभ पथ की ओर कंटकों को पार करता हुआ अग्रसर होता है। गुरु द्वारा दी गई शिक्षाएँ पग - पग पर उसका मार्ग आलोकित करती हैं। गुरु की कृपा से मनुष्य की ज्ञान दृष्टि उदित होती है और हृदय से विषयक भावनाओं का अंधकार दूर होता है। परमात्मा की प्राप्ति में गुरु का ज्ञान रूपी प्रकाश ही सहायक सिद्ध होता है। गुरु की कृपा से मनुष्य का चित्त निर्मल होता है तथा मन में धैर्य की उत्पत्ति होती है।
कबीर साहेब जी संसार की तुलना चौपड़ से की है , जहाँ जीव और परमात्मा के दाँव खेले जाते हैं । यह संसार दीपक के समान है । जिसके आकर्षण में जीव रूपी पतंगा भ्रमित होकर उसके इर्द गिर्द चक्कर काटना है । यह समस्त संसार विषय वासनाओं का एक भयानक जंगल है , जिसमें मनुष्य के खो जाने का भय सदैव रहता है । केवल गुरु का ज्ञान रूपी प्रकाश ही इस संसार से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। गुरु के ज्ञान रूपी तेज के आगे करोड़ों सूर्य और चन्द्रमा का प्रकाश भी फीका पड़ जाता है। संक्षेप रूप में तत्त्वदर्शी संत गुरु कृपा को परमात्मा की प्राप्ति हेतु अनिवार्य मानते हैं। गुरु के अनुग्रह से ही मनुष्य का मन विषय वासनाओं के अंधकार से मुक्त होकर ज्ञान के प्रकाश को प्राप्त करता है ।
🌷 गुरु महिमा 🌷
" सतगुरु की महिमा अनंत, अनंत किया उपकार।
लोचन अनंत उघड़ीया नंत दिखावण हार।।
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