Thursday 4 June 2020

Kabir Prakat Diwas Not Jayanti ( कबीर परमात्मा का प्रकट दिवस मनाते हैं, जयंती नहीं होती।)

Kabir Prakat Diwas Not Jayanti
( कबीर परमात्मा का प्रकट दिवस मनाते हैं, जयंती नहीं होती।)
1) कबीर साहेब का प्रकट दिवस होता है, जयंती नहीं!
सन् 1398 (विक्रमी संवत् 1455) ज्येष्ठ मास शुद्धि पूर्णमासी को ब्रह्ममूहूर्त में अपने सत्यलोक से सशरीर आकर परमेश्वर कबीर बालक रूप बनाकर लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर विराजमान हुए।
पूर्ण परमात्मा का माँ के गर्भ से जन्म नहीं होता।

2) कबीर साहेब का जन्म नहीं होता!
आदरणीय गरीब दास जी ने भी अपनी वाणी के माध्यम से यह बताया है कि परमात्मा कबीर जी की कोई माता नही थी अर्थात उनका जन्म माँ के गर्भ से नही हुआ।
गरीब, अनंत कोटि ब्रह्मांड में,
                                     बंदीछोड़ कहाय।
           सो तो एक कबीर हैं,
                               जननी जन्या न माय।।

3) कबीर परमात्मा सशरीर सतलोक से आते हैं, उनका जन्म नहीं होता।
जो देव जन्म मृत्यु के चक्कर में है उनकी जयंती मनाई जाती है लेकिन पूर्ण परमात्मा कबीर जी का प्रकट दिवस मनाया जाता है क्योंकि वो सत्यलोक से सशरीर पृथ्वी पर प्रकट होते हैं -
"गगन मंडल से उतरे सतगुरु पुरूष कबीर”
जलज माहि पौडन किए, सब पीरन के‌ पीर।।

4) कबीर परमात्मा का प्रकट दिवस होता, जयंती नहीं!
पूर्ण परमात्मा कबीर जी का का जन्म कभी मां के गर्भ से नहीं होता।
इसलिए उनका प्रकट दिवस मनाया जाता है
कबीर जी अपने प्रकट होने के बारे में कहते है -
न मेरा जन्म न गर्भ बसेर, बालक बन दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा तहां जुलाहे ने पाया।।
5) तो उसकी मनाई जाती है जिसकी जन्म- मृत्यु होती है, लेकिन "कबीर साहेब" अविनाशी भगवान हैं, जिनकी कभी भी जन्म-मृत्यु नहीं होती।

6) साहेब ने अपनी वाणियों में स्पष्ट किया है, कि उनका जन्म नहीं होता।
ना मेरा जन्म न गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया।
काशी नगर जल कमल पर डेरा, तहाँ जुलाहे ने पाया।
माता पिता मेरे कछु नाही, ना मेरे घर दासी।
जुलहे का सुत आन कहाया, जगत करे मेरी हांसी।।
7) कबीर साहेब चारो युगों में प्रकट होकर पृथ्वी लोक पर आते हैं। उनका कभी माँ के गर्भ से जन्म नहीं होता। कमल के फूल पर प्रकट होते हैं। इसीलिए इसे जयंती नही प्रकट दिवस के रूप में मनाया जाता है।
8) हिन्दू मुस्लिम के बीच में, मेरा नाम कबीर।
आत्म उद्धार कारणे, अविगत धरा शरीर।।

कबीर साहेब ने इस वाणी में कहा है कि लोगो का आत्म उद्धार करने के लिए परमात्मा इस पृथ्वी पर प्रकट होते हैं।
9) सभी देवों का जन्म दिवस तो आखिर कबीर जी का प्रकट दिवस क्यों ?
पूर्ण परमात्मा कबीर जी के अलावा सभी देव जन्म-मृत्यु में हैं और प्रकट दिवस सिर्फ अविनाशी परमात्मा का ही मनाया जाता है क्योंकि वह जन्म नहीं लेते बल्कि हर युग में कमल के फूल पर प्रकट होते हैं।

10) जयंती और प्रकट दिवस में अंतर जानें
जो मां के गर्भ से जन्म लेते हैं, उनका जन्म दिवस मनाया जाता है लेकिन पूर्ण परमात्मा कबीर जी का प्रकट दिवस मनाया जाता है क्योंकि वह अविनाशी परमात्मा है।

11) सिर्फ कबीर जी का ही प्रकट दिवस क्यों ?
   ऋग्वेद मंडल नंबर 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में प्रमाण है कि वह परमात्मा सतलोक से शिशु रूप धारण करके प्रकट होता है और कुंवारी गायों के दूध से उसकी परवरिश होती है ।
ऋग्वेद  मंडल नंबर 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में भी वर्णन है कि पूर्ण परमात्मा कबीर जी जान बूझकर बालक रूप में प्रकट होते है।
इसलिए उनका प्रकट दिवस मनाया जाता है।

12) जिनका अवतरण होता है उनका जन्म दिवस नहीं होता।
कबीर परमात्मा हर युग में शिशु रूप में कमल के फूल पर अवतरित होते हैं, इसलिए उनका प्रकट दिवस मनाया जाता है

13) चारों युगों में सिर्फ कबीर परमात्मा के प्रकट होने के ही प्रमाण हैं
सतयुग में सत सुकृत नाम से,
त्रेता में मुनीन्द्र नाम से,
द्वापर में करुणामय नाम से,
और कलयुग में अपने असली नाम कबीर नाम से प्रकट होते हैं।
बाकी सभी देव मां के गर्भ से जन्म लेते हैं।

14) जन्मता है उसकी जयंती मनाई जाती है, जो अजन्मा है, स्वयंभू है, वह प्रकट होता है। कबीर साहेब, अमर पुरूष लीला करते हुए बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होते हैं।
इन पंक्तियों में कबीर साहेब जी की महिमा का गुणगान किया गया।

गरीब, भक्ति मुक्ति ले उतरे, मेटन तीनूं ताप।
मोमन के डेरा लिया, कहै कबीरा बाप।।
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3 comments:

  1. कबीर परमात्मा का प्रकट दिवस होता, जयंती नहीं!
    पूर्ण परमात्मा कबीर जी का का जन्म कभी मां के गर्भ से नहीं होता।
    इसलिए उनका प्रकट दिवस मनाया जाता है
    कबीर जी अपने प्रकट होने के बारे में कहते है -
    न मेरा जन्म न गर्भ बसेर, बालक बन दिखलाया।
    काशी नगर जल कमल पर डेरा तहां जुलाहे ने पाया।।

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  2. जो जन्मता है उसकी जयंती मनाई जाती है, जो अजन्मा है, स्वयंभू है, वह प्रकट होता है। कबीर साहेब, अमर पुरूष लीला करते हुए बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होते हैं।

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  3. गरीब,अनंत कोटि ब्रह्मांड में, बंदीछोड़ कहाय।
    सो तो एक कबीर हैं, जननी जन्या न माय।।
    कबीर परमेश्वर जी शास्वत भगवान है।

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