" संतो की शिक्षा "
" मानव जीवन का महत्व किसी को पता नही है। आज हम जीवन की भागदौड में खुद को भूलते जा रही है, ओर एक दिन ऐसा आयेगा की इस चकाचौंध सी भागदौड़ मैं ख़ुद को खत्म कर देगे। "
सभी प्रकार के जीवों ने जन्म लिया और मर गये। यह प्रकिया तो हर एक यौनी में प्राप्त होती है और और इसी के चलते एक मानव तन के रूप में प्राप्त होता है।
मानव तन का मुख्य उद्देश्य बताने में गुरु या संत अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ओर बताता है की जन्म लेकर मृत्यु तक का सफर क्या ईसी का नाम जीवन है या कोई अन्य भी इसका उद्देश्य है। इसकी जानकारी संत/गुरु ही बताते है, इसलिए अधीक जानकारी प्राप्त करने के लिये संत/गुरु की महत्व अतिआवश्यक है।
गुरु/संत वह माध्यम है जो मनुष्य को सत्य से अवगत कराता है।
सत्य से अवगत कराने का सशक्त पथ है , जिस पर चलकर मानव अपने जीवन के सत्य से अवगत होता है।
सनातन से गुरुओ/संतो ने सत्य की ओर ले जाने का कार्य किया है और आत्म कल्याण के लिये आत्मज्ञान के बीमा मनुष्य जीवन व्यर्थ है।
इसका परिचय कराने के लिए आध्यात्मिकता में तत्वदर्शी गुरु/संत का होना अतिआवश्यक है।
सुक्ष्म वेद में कहा है -
" राम कृष्ण से कौन बड़ा, उन्होंने ने भी गुरु कीन्ही।
तीन लोक के वे धनी, गुरु आगे आधीन।।
पूर्णगुरु की पहिचान-
सभी पवित्र धर्मीक ग्रंथो मे बताया गया है।
हिन्दू धर्म सभी ग्रंथो ( जैसे- 4 वेद, 6 शास्त्र, 18 पुराणों ) का मर्मज्ञ ज्ञात होता है।
" सतगुरु के लक्षण कहू, मधुरे बेन विनोद।
चार वेद षठ शास्त्र, कहे अठारा बोध।। "
👉 वर्तमान में वह तत्त्वदर्शी संत कौन है ?
📌जो स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत का निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं।
📌शास्त्रों अनुकूल प्रमाणित भक्ति करा रहे हैं।
📌सभी प्रकार के पाखंड से मुक्त करा रहे हैं।
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