Sunday 21 June 2020

सबसे बड़ा उपकार मात-पिता की सेवा ( Father Day )

माता-पिता की सेवा व आदर करना परम कर्तव्य  ( #जीने_की_राह )

Father Day ( Kabir)
प्रत्येक माता-पिता की तमन्ना होती है कि मेरी संतान योग्य बने। समाज में बदनामी न ले। अच्छे चरित्र वाली हो, आज्ञाकारी हो। वृद्धावस्था में हमारी सेवा करे। हमारी बहु हमारे कहने में चलने वाली आए। समाज में हमारी इज्जत रखे।
Father Day (Kabir)

वृद्धावस्था में हमारी सेवा करे। प्यार से व्यवहार करे।
सत्ययुग, त्रोता, द्वापर तक यह मर्यादा चरम पर रही। सब सुखी जीवन जीते थे। 
#कलयुग में कुछ समय तक तो ठीक रहा, परंतु वर्तमान में स्थिति विपरीत ही है।
इसे सुधारने का उद्देश्य लेखक (तत्वदर्शी_संत_रामपाल_जी_महाराज) रखता है। आशा भी करता हूँ कि भगवान की कृपा से ज्ञान के प्रकाश से सब संभव हो जाता है, हो भी रहा है और होगा, यह मेरी आत्मा मानती है।

Father Day (kabir)

-: माता का संतान के प्रति प्यार:-
एक लड़के का पिता मृत्यु को प्राप्त हो गया। उस समय वह 10-11 वर्ष का था। माता ने अपने इकलौते पुत्रा की परवरिश की। माता तथा पिता दोनों का प्यार माता जी ने दिया कि कहीं पुत्र को पिता का अभाव कष्ट न दे।
लड़का युवा होकर शराब का आदी हो गया तथा वैश्या गमन करने लगा।
माता से नित्य रूपये माँगे और आवारागर्दी में उड़ाए।

Father Day (Kabir)

एक दिन माता के पास पैसे नहीं थे। शराब के नशे में माता को पीटा तथा वैश्या के पास गया। उस दिन पैसे नहीं थे तो वैश्या ने कहा कि अपनी माता का दिल निकाल ला। उल्टा घर आया, माता बेहोश थी। छुरा मारकर माता का दिल निकालकर चल पड़ा। नशे में ठोकर लगी और गिर गया। माता के दिल से आवाज आई कि बेटा! तेरे को चोट तो नहीं लगी। नशे से बना शैतान वैश्या के पास माता का दिल लेकर पहुँचा तो वैश्या ने कहा कि जब तू अपनी माता का हितैषी नहीं है तो मेरा क्या होगा? किसी के बहकावे में आकर तू मुझे भी मार डालेगा।



Father Day (kabir)

मेरे को तो तेरे से पीछा छुड़ाना था कि तू अब निर्धन हो गया है, मेरे किस काम का। इसलिए यह शर्त रखी थी कि तू माता का दिल निकाल नहीं सकता क्योंकि वह तेरे को कभी किसी वस्तु के लिए मना नहीं करती थी।
हे शैतान! चला जा मेरी आँखों के सामने से। यह कहकर वैश्या ने उसे घर से बाहर धक्का देकर द्वार बंद कर लिया। वह शैतान घर आया। माता के शव पर विलाप करने लगा।

Father Day (Kabir is god)

कहा कि माता जी! हो सके तो भगवान के
दरबार में भी मुझे बचाना। आवाज आई कि बेटा! कुछ नहीं हुआ, बस तेरे को खुश देखना चाहती हूँ। उसी समय नगर के लोग आए। थाने में सूचना दी। उस अपराधी को राजा ने फाँसी की सजा दी।

राजा ने फाँसी चढ़ाने से पूर्व उसकी अंतिम इच्छा जानी तो उस लड़के ने कहा कि कुछ नागरिकों को बुलाया जाए, मैं अपनी कारगुजारी को सबके साथ साझा करना चाहता हूँ। नगर के व्यक्ति आए, उस लड़के ने अपना जुल्म कबूला और बताया कि मैंने उपरोक्त जुल्म किया।

Father Day 
(Supreme God kabir)



कबीर -
या तो माता भक्त जनै,या दाता या शूर।

या फिर रहै बांझडी,क्यों व्यर्थ गंवावै नूर।।


मेरी माँ की आत्मा अंतिम समय में भी मेरे सुखी रहने की कामना करती रही। मेरे को नशे ने शैतान बना दिया। मैंने वैश्या गमन करके समाज को दूषित किया।
आप लोग मेरे से नसीहत लेना। जो घोर पाप मैंने अपनी माता जी को परेशान करके किया, कोई मत करना।
माता जैसी हमदर्द संसार में पत्नी भी नहीं हो सकती, भले ही वह कितनी ही नेक हो। माता अपने बेटा-बेटी को इतना प्यार करती है कि सर्दियों में बच्चा पेशाब कर देता है तो माता स्वयं उसके पेशाब से भीगे ठण्डे वस्त्रा पर लेटती है, बच्चे के नीचे सूखा बिछौना कर देती है। यदि बच्चा भूख से रो रहा होता है तो खाना बीच में छोड़कर उसे पहले अपना दूध पिलाकर शांत करती है।

कबीर-

मात पिता मिल जाएंगे , तुझे लख चौरासी माई ।
सतगुरु सेवा बंदगी , ये फिर मिलन की नाही।।


सतगुरु रामपाल जी

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