Sunday 10 February 2019

संतो की शिक्षा

" संतो की शिक्षा "

" तत्व ज्ञान का खजाना "

इस संसार में गुरु का स्थान सर्वोपरि मानते हैं। गुरु अज्ञानी मनुष्य को अन्तर्दृष्टि प्रदान कर उन्हें इस भव सागर को पार करने का मार्ग सुझाते हैं।
गुरु के दिशा - निर्देशन में ही एक शिष्य अपने सुलभ पथ की ओर कंटकों को पार करता हुआ अग्रसर होता है। गुरु द्वारा दी गई शिक्षाएँ पग - पग पर उसका मार्ग आलोकित करती हैं। गुरु की कृपा से मनुष्य की ज्ञान दृष्टि उदित होती है और हृदय से विषयक भावनाओं का अंधकार दूर होता है। परमात्मा की प्राप्ति में गुरु का ज्ञान रूपी प्रकाश ही सहायक सिद्ध होता है। गुरु की कृपा से मनुष्य का चित्त निर्मल होता है तथा मन में धैर्य की उत्पत्ति होती है। 

कबीर साहेब जी संसार की तुलना चौपड़ से की है , जहाँ जीव और परमात्मा के दाँव खेले जाते हैं । यह संसार दीपक के समान है । जिसके आकर्षण में जीव रूपी पतंगा भ्रमित होकर उसके इर्द गिर्द चक्कर काटना है । यह समस्त संसार विषय वासनाओं का एक भयानक जंगल है , जिसमें मनुष्य के खो जाने का भय सदैव रहता है । केवल गुरु का ज्ञान रूपी प्रकाश ही इस संसार से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। गुरु के ज्ञान रूपी तेज के आगे करोड़ों सूर्य और चन्द्रमा का प्रकाश भी फीका पड़ जाता है। संक्षेप रूप में तत्त्वदर्शी संत गुरु कृपा को परमात्मा की प्राप्ति हेतु अनिवार्य मानते हैं। गुरु के अनुग्रह से ही मनुष्य का मन विषय वासनाओं के अंधकार से मुक्त होकर ज्ञान के प्रकाश को प्राप्त करता है ।
🌷 गुरु  महिमा 🌷

" सतगुरु की महिमा अनंत, अनंत किया उपकार।
लोचन अनंत  उघड़ीया नंत दिखावण हार।।

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वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज के अतिरिक्त सबको आध्यात्मिक मोतियाबिंद का रोग है।

इनको अपने हिन्दू धर्म के शास्त्रों का ही ज्ञान नहीं है।

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Saturday 9 February 2019

" संतो की शिक्षा "



" मानव जीवन का महत्व किसी को पता नही है। आज हम जीवन की भागदौड में खुद को भूलते जा रही है, ओर एक दिन ऐसा आयेगा की इस चकाचौंध सी भागदौड़ मैं ख़ुद को खत्म कर देगे। "

सभी प्रकार के जीवों ने जन्म लिया और मर गये। यह प्रकिया तो हर एक यौनी में प्राप्त होती है और और इसी के चलते एक मानव तन के रूप में प्राप्त होता है।

मानव तन का मुख्य उद्देश्य बताने में गुरु या संत अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ओर बताता है की जन्म लेकर मृत्यु तक का सफर क्या ईसी का नाम जीवन है या कोई अन्य भी इसका उद्देश्य है। इसकी जानकारी संत/गुरु ही बताते है, इसलिए अधीक जानकारी प्राप्त करने के लिये संत/गुरु की महत्व अतिआवश्यक है।
गुरु/संत वह माध्यम है जो मनुष्य को सत्य से अवगत कराता है।
सत्य से अवगत कराने का सशक्त पथ है , जिस पर चलकर मानव अपने जीवन के सत्य से अवगत होता है।
सनातन से गुरुओ/संतो ने सत्य की ओर ले जाने का कार्य किया है और आत्म कल्याण के लिये आत्मज्ञान के बीमा मनुष्य जीवन व्यर्थ है।

इसका परिचय कराने के लिए आध्यात्मिकता में तत्वदर्शी गुरु/संत का होना अतिआवश्यक है।
सुक्ष्म वेद में कहा है -
" राम कृष्ण से कौन बड़ा, उन्होंने ने भी गुरु कीन्ही।
तीन लोक के वे धनी, गुरु आगे आधीन।।

पूर्णगुरु की पहिचान-
सभी पवित्र धर्मीक ग्रंथो मे बताया गया है।
हिन्दू धर्म सभी ग्रंथो ( जैसे- 4 वेद, 6 शास्त्र, 18 पुराणों ) का मर्मज्ञ ज्ञात होता है।
" सतगुरु के लक्षण कहू, मधुरे बेन विनोद।
चार वेद षठ शास्त्र, कहे अठारा बोध।। "
इसका प्रमाण श्रीमदभगवत गीता अध्याय 15, श्लोक 1-4, 16 व 17 मे बताया है।

https://www.supremegod.org/

👉 वर्तमान में वह तत्त्वदर्शी संत कौन है ?

📌जो स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत का निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं।
📌शास्त्रों अनुकूल प्रमाणित भक्ति करा रहे हैं।
📌सभी प्रकार के पाखंड से मुक्त करा रहे हैं।

अधिक जानकारी के लिए देखिए
साधना टीवी 7:30 pm से 8:30 pm तक
www.jatgururampalji.org

मानवता की कसौटी { मैं_उस_दोर_का_बेटा_हूं }

#मैं_उस_दोर_का_बेटा_हूं #जीवो_के_प्रति_दया_मेरे_भारत_की_संस्कृति हल खींचते समय यदि कोई बैल गोबर या मूत्र करने की स्थिति में होत...