Wednesday 8 July 2020

नाग पूजा कितनी लाभ दायक ?

नाग पूजा कितनी लाभ दायक ?

नागपंचमी का महत्व (Nag panchami Ka Mahatva): शास्त्रों के अनुसार नाग को मां लक्ष्मी का रक्षक माना गया है साथ ही इसे धन का भी रक्षक माना जाता है। 
नागपंचमी के दिन श्रीया, नाग और ब्रह्म अर्थात शिवलिंग स्वरुप की आराधना की जाती है। मान्यता है कि इनकी आराधना से मनुष्य की सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा से मां लक्ष्मी का आर्शीवाद भी प्राप्त होता है।
सावन का सोमवार और नाग पंचमी का दुर्लभ संयोग, इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा : श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागों की पूजा के संदर्भ में एक कथा हैं, जिसमें नागों की पूजा के कारण का उल्लेख मिलता है। वेद और पुराणों में नागों का उद्गम महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी कद्रू से माना जाता है। नागों का मूल स्थान पाताल लोक है।
नाग देवता हैं पूज्य :
नाग देवता भारतीय संस्कृति में देवरूप में स्वीकार किये गये हैं। देश के पर्वतीय प्रदेशों में नागपूजा बहुतायत से होती है। यहाँ नागदेवता अत्यन्त पूज्य माने जाते हैं। हमारे देश के प्रत्येक ग्राम- नगर में ग्राम देवता और लोक देवता के रूप में नाग देवताओं के पूजास्थल हैं।
भारतीय संस्कृति में सायं-प्रात: भगवत्स्मरण के साथ अनन्त तथा वासुकि आदि पवित्र नागों का नामस्मरण भी किया जाता है, जिनमें नागविष और भय से रक्षा होती है तथा सर्वत्र विजय होती है।

देवों की सेवा में समर्पित हैं नाग :
पुराणों में यक्ष, किन्नर और गन्धर्वों के वर्णन के साथ-साथ नागों का भी वर्णन मिलता है। भगवान विष्णु की शय्या की शोभा नागराज शेष बढ़ाते हैं। भगवान शिव के अलंकरण में वासुकी की महत्वपूर्ण भूमिका है। 
योगसिद्धि के लिए जो कुण्डलिनी शक्ति जागृत की जाती है, उसको सर्पिणी कहा जाता है। पुराणों में भगवान सूर्य के रथ में द्वादश नागों का उल्लेख मिलता है, जो क्रमश: प्रत्येक मास में उनके रथ के वाहक बनते हैं। इस प्रकार अन्य देवताओं ने भी नागों को धारण किया है।

नाग पूजा के लाभ : धर्म ग्रंथों में कई प्रमुख नागों का उल्लेख मिलता है। ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि नागों के शाप के कारण यानी पूर्वजन्म में सांप को मारने या पिता या पितरों को नाराज करने से कुंडली में नागदेवता कालसर्प योग बनाते हैं। नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा से कालसर्प और सर्पदोष के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं। ऐसी भी मान्यता है कि सर्प योनी में गए हुए पितरों को भी नाग पंचमी पूजा से मुक्ति मिलती है। भविष्य पुराण में कहा गया है कि नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा से परिवार में सर्प भय नहीं रहता है।
नागपंचमी पर पूजन के दौरान बरतें ये सावधानियां-
अगर आप नाग पंचमी पर नाग देवता की कृपा पाना चाहते हैं तो आपको ये सावधानियां जरूर बरतनी चाहिए.
- बिना शिव जी की पूजा किए कभी भी नागों की पूजा न करें.
- नागों की स्वतंत्र पूजा न करें, उनकी पूजा शिव जी के आभूषण के रूप में ही करें.
- नागपंचमी के दिन न तो भूमि खोदें और न ही साग काटें
अन्य :-
भारत देश कृषिप्रधान देश था और है। सांप खेतों का रक्षण करता है, इसलिए उसे क्षेत्रपाल कहते हैं। जीव-जंतु, चूहे आदि जो फसल को नुकसान करने वाले तत्व हैं, उनका नाश करके सांप हमारे खेतों को हराभरा रखता है।

साँप हमें कई मूक संदेश भी देता है। साँप के गुण देखने की हमारे पास गुणग्राही और शुभग्राही दृष्टि होनी चाहिए। भगवान दत्तात्रय की ऐसी शुभ दृष्टि थी, इसलिए ही उन्हें प्रत्येक वस्तु से कुछ न कुछ सीख मिली।

साँप सामान्यतया किसी को अकारण नहीं काटता। उसे परेशान करने वाले को या छेड़ने वालों को ही वह डंसता है। साँप भी प्रभु का सर्जन है, वह यदि नुकसान किए बिना सरलता से जाता हो, या निरुपद्रवी बनकर जीता हो तो उसे मारने का हमें कोई अधिकार नहीं है। जब हम उसके प्राण लेने का प्रयत्न करते हैं, तब अपने प्राण बचाने के लिए या अपना जीवन टिकाने के लिए यदि वह हमें डँस दे तो उसे दुष्ट कैसे कहा जा सकता है? हमारे प्राण लेने वालों के प्राण लेने का प्रयत्न क्या हम नहीं करते?

साँप को सुगंध बहुत ही भाती है। चंपा के पौधे को लिपटकर वह रहता है या तो चंदन के वृक्ष पर वह निवास करता है। केवड़े के वन में भी वह फिरता रहता है। उसे सुगंध प्रिय लगती है, इसलिए भारतीय संस्कृति को वह प्रिय है। प्रत्येक मानव को जीवन में सद्गुणों की सुगंध आती है, सुविचारों की सुवास आती है, वह सुवास हमें प्रिय होनी चाहिए।

हम जानते हैं कि साँप बिना कारण किसी को नहीं काटता। वर्षों परिश्रम संचित शक्ति यानी जहर वह किसी को यों ही काटकर व्यर्थ खो देना नहीं चाहता। हम भी जीवन में कुछ तप करेंगे तो उससे हमें भी शक्ति पैदा होगी। यह शक्ति किसी पर गुस्सा करने में, निर्बलों को हैरान करने में या अशक्तों को दुःख देने में व्यर्थ न कर उस शक्ति को हमारा विकास करने में, दूसरे असमर्थों को समर्थ बनाने में, निर्बलों को सबल बनाने में खर्च करें, यही अपेक्षित है।

नाग पूजा तत्वज्ञान से जाने तो इसका भक्ति में  लाभ लाभरहित है।
गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 में कहा गया है कि शास्त्र विरुद्ध साधना से कोई लाभ नहीं होता।
पवित्र यादगारें आदरणीय हैं, परन्तु आत्म कल्याण तो
केवल पवित्र गीता जी व पवित्रा वेदों में वर्णित तथा परमेश्वर कबीर जी द्वारा दिए तत्वज्ञान के अनुसार भक्ति साधना करने मात्र से ही सम्भव है, अन्यथा शास्त्र विरुद्ध होने से मानव जीवन व्यर्थ हो जाएगा।
हिन्दू धर्म के गुरुजन तथा अनुयाई गीता शास्त्र में वर्जित साधना कर रहे हैं जो शास्त्र विधि को त्यागकर मनमाना आचरण होने से परमात्मा की भक्ति से मिलने वाले लाभ से वंचित रहते हैं।
मनमाना आचरण करने से हम कभी सुखी नहीं हो सकते। यही हमारी सबसे बड़ी भूल है कि हम शास्त्रविरुद्ध साधना करते हैं। क्योंकि हमें हमारे धर्मगुरुओं ने सद्ग्रन्थों की सच्चाई नहीं बताई और हमने कभी कोशिश भी नहीं की जानने की।
अब हमारे पास मौका है हम सच्चाई को जान सकते हैं।
पूरे विश्व में संत रामपाल जी महाराज जी ही एकमात्र संत हैं जो शास्त्रो का ज्ञान करवाते हैं। तो अब बिना किसी विलम्ब के सच्चाई को जानें, परखें और मनमाना आचरण छोडें।

प्रतिदिन शाम 7:30 से 8:30 तक साधना tv पर संत रामपाल जी महाराज जी के मंगल प्रवचन देखें और सच्चाई से परिचित होकर शास्त्रनुकूल साधना करें।
धन्यवाद।

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